वाक्यपदीय व्याकरण विषयक ग्रन्थ होने पर भी प्रसिद्ध दार्शनिक ग्रन्थ है।
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वाक्यपदीय व्याकरण विषयक ग्रन्थ होने पर भी प्रसिद्ध दार्शनिक ग्रन्थ है।
3.
सम्पत्ति जी कई पत्र-पत्रिका में भी मगही व्याकरण विषयक लेख लिख के अप्पन योगदान के अच्छा परिचय देलन हे ।
4.
पं॰ युधिष्ठिर मीमांसक कृत ' संस्कृत व्याकरणशास्त्र का इतिहास' विश्वविद्यालयीय व्याकरण विषयक छात्रों के लिए पाठ्य-पुस्तक या साहाय्य ग्रन्थ एवं अनेक शोधकर्ताओं के लिए प्रेरणा स्रोत रहा है ।
5.
पालि व्याकरण विषयक अन्य कुछ रचनाएँ हैं-सद्धम्मगुरु कृत सद्दबुत्ति, मंगलकृत गंधट्ठी और सामनेर धम्मदस्सी कृत वच्चवाचक (14वीं शती), अरियवंश कृत गंधाभरण (15वीं शती), ब्रह्मदेश के नरश क्यच्चा की पुत्री कृत विभक्त्यर्थप्रकरण (15वीं शती), जंबूध्वज कृत संवण्णणानय-दीपना और निरुत्तिसंगह (17वीं शती), राजगुरु कृत कारकपुप्फमंजरी (18वीं शती)।
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पालि व्याकरण विषयक अन्य कुछ रचनाएँ हैं-सद्धम्मगुरु कृत सद्दबुत्ति, मंगलकृत गंधट्ठी और सामनेर धम्मदस्सी कृत वच्चवाचक (14 वीं शती), अरियवंश कृत गंधाभरण (15 वीं शती), ब्रह्मदेश के नरश क्यच्चा की पुत्री कृत विभक्त्यर्थप्रकरण (15 वीं शती), जंबूध्वज कृत संवण्णणानय-दीपना और निरुत्तिसंगह (17 वीं शती), राजगुरु कृत कारकपुप्फमंजरी (18 वीं शती) ।